Saturday, July 5, 2014

दिल को अब मंदिर में रखा जाए

हर बात अधूरी है किस किस को पूरा किया जाए
आधी ही सही जिंदगी को अब पूरा जिया जाए

अमृत की चाह में कब तक प्यासे रहेंगे हम
आओ इस ज़हर को ही कुछ मीठा किया जाए

इतना जला है तो पाक हो ही गया होगा
आओ इस दिल को अब मंदिर में रखा जाए

ये दर्द-ए-दिल भी वक्त का नज़राना है
आओ इस टीस का भी मज़ा लिया जाए

चेहरे पे उम्र के निशान बड़ी मेहनत से आते हैं
आओ इन सलवटों को करीने से सजाया जाए

खाक या राख होना ही इसकी किस्मत है
जब तक चाबी है इस पुतले को हंसाया जाए

हर बात अधूरी है किस किस को पूरा किया जाए
आधी ही सही जिंदगी को अब पूरा जिया जाए
-राजकुमार सिंह

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